Monday 23 May 2016

भारतीय दंड संहिता कि धाराए

भारतीय दंड संहिता धारा 3

भारतीय दण्ड संहिता की धारा ३ ऐसे अपराधो की सजा के बारे में है जो की भारत से बहार किये गए है पर कानून के अनुसार उन्हें भारत में ही पेश किया जायेगा व यही उनकी सुनवाई होगी. इसके तहत कोई भी व्यक्ति जिसपे की यह दंड संहिता लागू होती है के द्वारा किये गए किसी भी अपराध के बारे में, भले ही वोह भारत से बहार किये गए हो की सुनवाई व सजा भारत में होगी.

भारतीय दंड संहिता, 1860 में धारा 34

आम इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किया कृत्यों [अधिनियम - एक आपराधिक कृत्य सभी की आम इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जब यह लड़का उसके द्वारा किया गया है, जैसे कि ऐसे व्यक्तियों में से प्रत्येक में एक ही तरीके है कि अधिनियम के लिए उत्तरदायी है.]

भारतीय दंड संहिता की (IPC)धारा-120 ए और 120 बी

किसी भी अपराध को अंजाम देने के लिए साझा साजिश यानी कॉमन कॉन्सपिरेसी का मामला गुनाह की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 120ए और 120बी का प्रावधान है। जिस भी मामले में आरोपियों की संख्या एक से ज्यादा होती है, तो पुलिस की एफआईआर में आमतौर पर धारा 120ए का जिक्र जरूर होता है। यह जरूरी नहीं है कि आरोपी खुद अपराध को अंजाम दे। किसी साजिश में शामिल होना भी कानून की निगाह में गुनाह है। ऐसे में साजिश में शामिल शख्स यदि फांसी, उम्रकैद या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय अपराध करने की आपराधिक साजिश में शामिल होगा तो धारा 120 बी के तहत उसको भी अपराध करने वाले के बराबर सजा मिलेगी। अन्य मामलों में यह सजा छह महीने की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

 भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-153 ए

आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। धारा 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-186

अगर कोई शख्स सरकारी काम में बाधा पहुंचाता है तो उस पर आईपीसी की धारा 186 के तहत मुकदमा चलाया जाता है। उसे तीन महीने तक की कैद और 500 रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-292

समाज में अश्लीलता फैलाना भी संगीन गुनाह की श्रेणी में आता है। अश्लील साहित्य, अश्लील चित्र या फिल्मों को दिखाना,वितरित करना और इससे किसी प्रकार का लाभ कमाना या लाभ में किसी प्रकार की कोई भागीदारी कानून की नजर में अपराध है और ऐसे अपराध पर आईपीसी की धारा 292 लगाई जाती है। इसके दायरे में वो लोग भी आते हैं जो अश्लील सामग्री को बेचते हैं या जिन लोगों के पास से अश्लील सामग्री बरामद होती है। अगर कोई पहली बार आईपीसी की धारा 292 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 2 साल की कैद और 2 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार या फिर बार-बार दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद और 5 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-294

सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरकतें करने या अश्लील गाना गाने पर आईपीसी की धारा 294 लगाई जाती है। इस मामले में गुनाह अगर साबित हो जाए तो तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है।

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-302

आईपीसी की धारा 302 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है। अगर किसी पर कत्ल का दोष साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है। कत्ल के मामलों में खासतौर पर कत्ल के इरादे और उसके मकसद पर ध्यान दिया जाता है। इसमें, पुलिस को सबूतों के साथ ये साबित करना होता है कि कत्ल आरोपी ने किया है, उसके पास कत्ल का मकसद भी था और वो कत्ल करने का इरादा रखता था।

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-304ए

आईपीसी की धारा 304 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है,जिनकी लापरवाही की वजह से किसी की जान जाती है। इसके तहत दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों होते हैं। सड़क दुर्घटना के मामलों में किसी की मौत हो जाने पर अक्सर इस धारा का इस्तेमाल होता है।

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा 306 और 305

आईपीसी की धारा 306 और 305 खुदकुशी या आत्महत्या के मामले से जुड़ी है। अगर कोई शख्स खुदकुशी कर लेता है और ये साबित होता है कि उसे ऐसा करने के लिए किसी ने उकसाया था या फिर किसी ने उसे इतना परेशान किया था कि उसने अपनी जान दे दी तो उकसाने या परेशान करने वाले शख्स पर आईपीसी की धारा 306 लगाई जाती है। इसके तहत 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। अगर आत्महत्या के लिए किसी नाबालिग, मानसिक तौर पर कमजोर या फिर किसी भी ऐसे शख्स को उकसाया जाता है जो अपने आप सही और गलत का फैसला करने की स्थिति में न हो तो उकसाने वाले शख्स पर धारा 305 लगाई जाती है। इसके तहत दस साल की कैद और जुर्माना या उम्रकैद या फिर फांसी की भी सजा हो सकती है।

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-307

किसी की हत्या की कोशिश का मामला अगर सामने आता है तो हत्या की कोशिश करने वाले पर आईपीसी की धारा 307 लगाई जाती है। यानि अगर कोई किसी की हत्या की कोशिश करता है,लेकिन जिस शख्स पर हमला हुआ, उसकी जान नहीं जाती तो धारा 307 के तहत हमला करने वाले शख्स पर मुकदमा चलता है। आम तौर पर ऐसे मामलों में दोषी को 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकते हैं। अगर जिसकी हत्या की कोशिश की गई है उसे गंभीर चोट लगती है तो दोषी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

धारा 323 भारतीय दंड संहिता

स्वेच्छया उपहति कारित करने के लिए दंड- उस दशा के सिवाय जिस के लिए धारा 334 में उपबंध है, जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिस की अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-353

भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 353 उन लोगों पर लगाई जाती है जो सरकारी कर्मचारी पर हमला कर या उस पर ताकत का इस्तेमाल कर उसे उसकी ड्यूटी निभाने से रोकते हैं। ऐसे मामलों में दोषी को दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

भारतीय दंड संहिता, 1860 में धारा 438

438. आग या विस्फोटक पदार्थ से प्रतिबद्ध अनुभाग 437 में वर्णित शरारत के लिए सजा -. करता है, या आग या किसी विस्फोटक पदार्थ, अंतिम पूर्ववर्ती खंड में वर्णित के रूप में ऐसी शरारत से, करने का प्रयास करता है जो कोई भी. 1 [आजीवन कारावास] से दंडित किया जाएगा. या दस साल तक का हो सकता है, और भी ठीक करने के लिए उत्तरदायी होगा जो एक अवधि के लिए या तो विवरण के कारावास के साथ.

भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-509

भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 509 उन लोगों पर लगाई जाती है जो किसी औरत के शील या सम्मान को चोट पहुंचाने वाली बात कहते हैं या हरकत करते हैं। अगर कोई किसी औरत को सुना कर ऐसी बात कहता है या आवाज निकालता है,जिससे औरत के शील या सम्मान को चोट पहुंचे या जिससे उसकी प्राइवेसी में दखल पड़े तो उसके खिलाफ धारा 509 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इस धारा के तहत एक साल तक की सजा जो तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना या दोनों हो सकता है।

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