Monday, 1 June 2020

60 हिंदी पहेलियों का दुर्लभ संग्रह! Collection of Hindi Paheliyan with Answers!

पहेलियाँ Dosto Apne Answers ko comment mein Serial no Likh kr batayein..
1गोल है पर गेंद नहीं, पूँछ है पर पशु नहीं । पूंछ पकड़कर खेलें बच्चे, फिर भी मेरे आंसू न निकलते ॥
2ऊँट की बैठक, हिरन सी तेज चाल । वो कौन सा जानवर जिसके पूँछ न बाल॥
3तीन अक्षर का मेरा नाम । उल्टा सीधा एक समान ॥
41 लाल डिबिया में हैं पीले खाने । खानों में  मोती के दाने ॥ 
5जो करता है वायु शुद्ध, फल देकर जो पेट भरे । मानव बना है उसका दुश्मन, फिर भी वह उपकार करे ॥  
6धन-दौलत से बड़ी है यह, सब चीजों से ऊपर है यह । जो पाए पंडित बन जाए, बिन पाए मूर्ख रह जाए ॥
7चौकी पर बैठी एक रानी, सिर पर आग बदन में पानी ॥
8फूल भी हूँ, फल भी हूँ और हूँ मिठाई । तो बताओ क्या हूँ मैं भाई ॥
9जल से भरा एक मटका, जो है सबसे ऊँच लटका । पी लो पानी है मीठा, ज़रा नहीं है खट्टा ॥
10लाल हूँ, खाती हूँ मैं सूखी घास । पानी पीकर मर जाऊँ, जल जाए जो आए मेरे पास ॥
11सफेद तन हरी पूंछ, न बुझे तो नानी से पूछ ॥
12चार अक्षर का मेरा नाम, टिमटिम तारे बनाना काम । शादी, उत्सव या त्योहार, सब जलाएँ बार-बार ॥   
13कान घुमाए बंद हो जाऊँ, कान घुमाए खुल जाता हूँ । रखता हूँ मैं घर का ख्याल, आता हूँ मैं सब के काम, कोई बताए मेरी नाम ॥
14आदि कटे तो गीत सुनाऊँ, मध्य कटे तो संत बन जाऊँ । अंत कटे साथ बन जाता, संपूर्ण सबके मन भाता ॥
15मुझे उलट कर देखो, लगता हूँ मैं नौ जवान । कोई अलग न रहता मुझसे, बच्चा, बूढ़ा और जवान ॥
16पैर नहीं हैं, पर चलती रहती, दोनों हाथों से अपना मुंह पोंछती रहती ॥
17लोहा खींचू ऐसी ताकत हैपर रबड़ मुझे हराता है । खोई सूई मैं पा लेता हूँमेरा खेल निराला है ॥
18तुम  बुलाओ मैं  जाऊँगी भाड़ा  किराया दूँगीघर के हर कमरे में रहूँगी । पकड़  मुझको तुम पाओगेमेरे बिन तुम  रह पाओगेबताओ मैं कौन हूँ ॥
19पत्थर पर पत्थर, पत्थर पर पैसा । बिना पानी के घर बनाए, वह कारीगर कैसा ॥
20कान हैं पर बहरी हूँ, मुँह है पर मौन हूँ । आँखें हैं पर अंधी हूँ, बताओ मैं कौन हूँ ॥
21हरी थी, मन भरी थी, लाख मोती जड़े थी । राजाजी के बाग में, दोशाला ओढ़े खड़ी थी॥
22बिन खाए, बिन पिए, सबके घर में रहता हूँ । ना हँसता हूँ, ना रोता हूँ, घर की रखवाली करता हूँ ॥
23काला रंग मेरी है शान, सबको मैं देता हूँ ज्ञान । शिक्षक करते मुझ पर काम, नाम बताकर बनो महान ॥
24टोपी है हरी मेरी, लाल है दुशाला । पेट में अजीब लगी, दानों की माला ॥
25सर है, दुम है, मगर पाँव नहीं उसके । पेट है, आँख है, मगर कान नहीं उसके ॥
26सींग हैं पर बकरी नहीं, काठी है पर घोड़ी नहीं । ब्रेक हैं पर कार नहीं, घंटी है पर किवाड़ नहीं ॥
27एक राजा की अनोखी रानी, दुम के रास्ते पीती पानी ॥
28एक वस्तु को मैंने देखा, जिस पर हैं दाँत। बिना मुख के बोलकर, करे रसीली बात ॥
29नाक को पकड़कर, खींचता है कान । कोई नहीं इसे कुछ कहता, बताओ उसका नाम ॥
30एक फूल है काले रंग का, सिर पर सदा सुहाए । तेज धूप में वो खिल जाता, छाया में मुरझाए ॥

31जन्म दिया रात ने, सुबह ने किया जवान । दिन ढलते ही, निकल गई इसकी जान ॥
32तीन अक्षर का मेरा नाम, खाने के आता हूँ काम । मध्य कटे हवा हो जाता, अंत कटे तो हल कहलाता ॥
33कला घोडा सफ़ेद की सवारी, एक उतरा तो दूसरे की बरी ॥
34धूप देख मैं आ जाऊँ; छाँव देख शर्मा जाऊँ । जब हवा करे मुझे स्पर्श; मैं उसमे समा जाऊँ; बताओ क्या ॥ 
35काली तो है, पर काग़ नहीं, लंबी तो है, पर नाग नहीं । बल तो खाती, पर डोर नहीं, बांधतेतो है, पर ढोर नहीं ॥
36बूझो भैया एक पहेली जब काटो तो नई नवेली ॥
37काली-काली माँ लाल-लाल बच्चे, जिधर जाये माँ, उधर जाए बच्चे ॥
38दुनियाँ भर की करता सैर, धरती पे ना रखता पैर । दिन में सोता रात में जागता, रात अंधेरी मेरी बगैर, जल्दी बताओ मैं कौन ॥
39ऐसी कौन सी चीज हैजिसे आप खरीदते हो तो रंग कालाउपयोग करते हो तो लाल और फेंकते हो तो सफेद होता है ॥
40सबके ही घर ये जाये, तीन अक्षर का नाम बताए । शुरु के दो अति हो जाये, अंतिम दो से तिथि बन जाये ॥
41मध्य कटे तो बनता कम, अंत कटे तो कल । लेखन में मैं आती काम, सोचो तो क्या मेरा नाम ॥
42चार टाँग की हूँ एक नारीछलनी सम मेरे छेद । पीड़ित को आराम मैं देतीबतलाओ भैया यह भेद ॥
43पानी से निकला पेड़ एक, पात नहीं पर डाल अनेक । इस पेड़ की ठंडी छाया, बैठ के नीचे उसको पाया, बताओ क्या ॥
44हरा चोर लाल मकान, उसमे बैठा काला शैतान । गर्मी में वह है दिखता, सर्दी में गायब हो जाता, बताओ क्या ॥
45काला मुंह लाल शरीरकागज़ को वो खा जाता । रोज़ शाम को पेट फाड़कर कोई उन्हें ले जाता ॥
46चार कोनों का नगर बना, चार कुँए बिन पानी, चोर 18 उसमे बैठे लिए एक रानी । आया एक दरोगा, सब को पीट-पीट कर कुँए में डाला, बताओ क्या ॥
47सुंदर-सुंदर ख़्वाब दिखाती, पास सभी के रात में आती, थके मान्दे को दे आराम, जल्द बताओ उसका नाम ॥ 
48लंबा तन और बदन है गोल, मीठे रहते मेरे बोल, तन पे मेरे होते छेद, भाषा का मैं न करूँ भेद ॥ 
49पूंछ कटे तो सीता, सिर कटे तो मित्र, मध्य कटे तो खोपड़ी, पहेली बड़ी विचित्र ॥
50प्रथम कटे तो दर हो जाऊं, अंत कटे तो बंद हो जाऊं, केला मिले तो खाता जाऊं, बताओ मैं हूँ कौन ॥
51एक साथ आए दो भाई, बिन उनके दूर शहनाई । पीटो तब वह देते संगत, फिर आए महफ़िल में रंगत ॥
52दो सुंदर लड़केदोनों एक रंग के, एक बिछड़ जाये तो दूसरा काम  आये ॥
53हरा आटालाल परांठा, मिलजुल कर सब सखियों ने बांटा ॥ 
54एक किले के दो ही द्वार, उनमें सैनिक लकड़ीदार, टकराए जब दीवारों से, ख़त्म हो जाये उनका संसार ॥
55उछले दौड़े कूदे दिनभर, यह दिखने में बड़ा ही सुंदर, लेकिन नहीं ये भालू बंदर । अपनी धुन में मस्त कलंदर, इसके नाम में जुड़ा है रन, घर हैं इसके सुंदर वन, बताओ कौन ॥ 
56रंग बिरंगा बदन है इसका, कुदरत का वरदान मिला, इतनी सुंदरता पाकर भी, दो अक्षर का नाम मिला । ये वन में करता शोर, इसके चर्चे हैं हर ओर, बताओ कौन ॥ 
57 सीखा संगीत कहीं पर,  सीखा कोई गीत, लेकिन इसकी मीठी वाणी में । भरा हुआ संगीत, सुबह सुबह ये करे रियाज, मन को भाती इसकी आवाज, बताओ क्या ॥ 
58आगे ‘‘ है मध्य में भी ‘‘, अंत में इसके ‘‘ है, कटी पतंग नहीं ये भैया ।  बिल्ली चूहा हैवन में पेड़ों पर रहता है, सुर में रहकर कुछ कहता है, बताओ क्या ॥
59एक थाल मोतियों से भरा, सबके सिर पर उल्टा धरा । चारों ओर फिरे वो थालमोती उससे एक ना गिरे, बताओ क्या ॥
60सुबह आता शाम को जातादिनभर अपनी चमक बरसाता । समस्त सृष्टि को देता वैभवइसके बिना नहीं जीवन संभव, बताओ क्या ॥

60 हिंदी पहेलियों का दुर्लभ संग्रह! Collection of Hindi Paheliyan with Answers!

पहेलियाँ Dosto Apne Answers ko comment mein Serial no Likh kr batayein.. 1 गोल है पर गेंद नहीं, पूँछ है पर पशु नहीं । पूंछ पकड़कर खेलें बच्चे...