क्यों करु दूसरों की मदद क्या मिलेगा?
मेरी कौन मदद करता हैं?
मैंने ही सबका ठेका लिया है?
ऐसी कई बाते बोलने व सुनने में आती हैं, जब दूसरों की मदद का सवाल उठता है । भूल जाते है कि यह और कुछ नहीं, इस धरती को अपने और दूसरो के लिए बेहतर बनाने की दिशा में बढ़ाए गए कदम हैं।
महान अमेरिकी मुक्केबाज़ मोहम्मद अली से किसी ने पूछा कि हमे दुसरो की मदद क्यो करनी चाहिए? उन्होंने कहा, 'दूसरों की मदद करना धरती पर कमरे का किराया है जो आपको देना ही चाहिये ।'
लाजवाब जवाब है । मकान में रहना है तो किराया तो देना ही पड़ता है । हालांकि यह धरती हमारी बनायी दुनिया की तरह हवा, पानी और मिट्टी का हिसाब नहीं रखती, बावजूद आप क्या हैं? और इस धरती पर क्यों हैं? इसे जानने का रास्ता अरसे तक दुसरो से अनजान रह कर नही पाया जा सकता । यह बात पाप - पुण्य, प्रसंसा और धार्मिक उपदेश की नहीं, हमारे अपने अस्तित्व को बनाये रखने की शर्त है।
अनजान लोगो की मदद
जिटल लाइफ सोसोलोजिस्ट प्रोफेसर सेरी टरकल कहते है, ' गैजेट में उलझे रहने के कारण नई पीढी की एक दूसरे से सीधी बात चित कम हो गयी है। लोग एक दूसरे से बात करते हुए मोबाइल देखते रहते है, जिससे उनकी खुद को और दुसरो को समझने की झमता कम हुई है।' यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन में हुए शोध के अनुसार, 'हमारी अपनी खुसी के लिए जरुरी है की हम दुसरो से बातचीत करें।'
मदद का चक्र
बड़ी चर्चित कहानी है । एक किसान ने देखा की एक बच्चा दलदल में फंसा हुआ है । किसान ने उसे बचा लिया । अगले दिन उस बचचे के पिता ने किसान का सुक्रिया किया और अहसान के बदलें में कुछ देना चाहा । किसान ने कहा ,' यह तो मेरा कर्तव्य था। मैं कुछ ले नहीं सकता।'
रईस ने वही खेलते हुए किसान के बच्चे को देखा । उसने पूछा की उसे पढाते क्यों नहीं ? रईस ने कहा की वह पढ़ाई का पूरा इंतज़ाम करने को तैयार है । बच्चा पढ़ने लगा और महान् साइंटिस्ट अलेक्जेंडर फ्लेमिंग बना , उन्होंने पेंसिलीन की खोज की। समय आगे बढ़ा । उस रईस के बेटे को न्यूमोनिया हुआ और उस पेंसिलीन की वजह से उसकी जान बच पाई । रईस का यह बेटा सर विंस्टन चरचिल था । इंग्लैंड के चर्चित परधानमंत्री ।
मोटिवेशनल गुरु एकहार्ट टोल कहते है, 'हमारे अच्छे बुरे विचारो की तरह हमारे कामों का भी एक चक्र बनता है । हम जिनकी मदद करते है , उनमे से कुछ जरूर आगे दूसरों की मदद करते है । इस तरह मदद का एक चक्र चलता है । दुसरो पर भरोसा पैदा होता है ।'
मदद के अनेक रूप
1. खाना बनाते समय कुछ खाना बनाकर किसी को खिलाना ।
2. अपनी किताबे व कपडे दान देना ।
3. पंछियो को दाना पानी डालना ।
4. किसी जरूरतमंद को सलाह देकर उसके मेंटर बनना ।
5. धुप में चिठ्ठी व समान की डिलीवरी करने वालो, मजदूरो , सब्जीवलो से पानी के लिए पूछना ।
6. बुजुर्ग व बीमार की मदद करना।.............
रत्नेश यादव
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